धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
O Wonderful Lord, consort of Parvati You will be most merciful . You mostly bless the lousy and pious devotees. Your attractive variety is adorned Together with the moon on your own forehead and on your own ears are earrings of snakes' hood.
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश shiv chalisa in hindi मनोहर ललित अनुपा॥
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भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
Whosoever gives incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with like and devotion, enjoys product contentment and spiritual bliss With this world and hereafter ascends on the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva taken out the struggling of more info all and grants them Everlasting bliss.
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥